इंतज़ार
इंतज़ारउसके मिलने की उम्मीद से,अब भी धड़कन बढ़ जाती है।कई बार खुल जाती है नींद मेरी,जब वो ख्वाबो में मुस्कुराती है।इतना मशरूफ ही जिंदगी में,फिर भी कभी कभी सताती है।कितना भी मैं काबू करूँ,पर याद उसकी बहकाती है।उसके दीदार के तवस्वुर में,ए नफीस जिंदगी गुज़र जाती है। –डॉ नफीस अहमद